रोटी और संसद A poem – एक कविता by HindiCentral · Published · Updated रोटी और संसद एक आदमी रोटी बेलता (flatten with a roller) है. एक आदमी रोटी खाता है एक तीसरा आदमी भी है जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है मैं पूछता हूँ– ‘यह तीसरा आदमी कौन है ?’ मेरे देश की संसद (Parliament) मौन (silent) है। https://hindicentral.com/wp-content/uploads/2020/10/roti-aur-sansad.m4a written by सुदामा पांडे ‘धूमिल’