Category: Poems

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आदमी A poem by Uday Prakash

आदमी मरने के बाद कुछ नहीं सोचता। आदमी मरने के बाद कुछ नहीं बोलता। कुछ नहीं सोचने और कुछ नहीं बोलने पर आदमी मर जाता है। – उदय प्रकाश          ...

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हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था

हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था व्यक्ति को मैं नहीं जानता था हताशा को जानता था इसलिए मैं उस व्यक्ति के पास गया मैंने हाथ बढ़ाया मेरा हाथ पकड़कर वह खड़ा हुआ मुझे...

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Basanti hawa

बसंती हवा Spring Wind हवा हूँ, हवा मैं      I am the wind         बसंती हवा हूँ।      I am spring wind                 सुनो बात मेरी – ...

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मरना

मरना आदमी मरने के बाद कुछ नहीं सोचता … आदमी मरने के बाद कुछ नहीं बोलता … कुछ नहीं सोचने और कुछ नहीं बोलने पर आदमी मर जाता है…! ~उदय प्रकाश पचास कविताएँ नयी...

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दरवाज़ा (कविता)

https://www.sarita.in/poem/hindi-kavita-darwaza दरवाज़ा     घर बहुत बड़ा था लेकिन दरवाज़ा बहुत छोटा धूप, हवा, बारिश सब का आना था मना घर में रहते थे बस चंद लोग एकदम अपरिचित जैसे रेलगाड़ी के किसी डब्बे...

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आना-केदारनाथ सिंह Aanaa poem by Kedarnath Singh

  आना आना जब समय मिले जब समय न मिले तब भी आना आना जैसे हाथों में आता है जाँगर (bodily energy) जैसे धमनियों (artery) में आता है रक्त (blood) जैसे चूल्हों (stove) में...

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रोटी और संसद A poem – एक कविता

रोटी और संसद एक आदमी रोटी बेलता (flatten with a roller) है. एक आदमी रोटी खाता है एक तीसरा आदमी भी है जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है वह सिर्फ़ रोटी...