रोटी और संसद A poem – एक कविता
रोटी और संसद एक आदमी रोटी बेलता (role-out) है एक आदमी रोटी खाता है एक तीसरा आदमी भी है जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है...
रोटी और संसद एक आदमी रोटी बेलता (role-out) है एक आदमी रोटी खाता है एक तीसरा आदमी भी है जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है...
आना आना जब समय मिले जब समय न मिले तब भी आना आना जैसे हाथों में आता है जाँगर (bodily energy) जैसे धमनियों (artery) में आता है रक्त (blood) जैसे चूल्हों (stove) में...
https://www.sarita.in/poem/hindi-kavita-darwaza दरवाज़ा घर बहुत बड़ा था लेकिन दरवाज़ा बहुत छोटा धूप, हवा, बारिश सब का आना था मना घर में रहते थे बस चंद लोग एकदम अपरिचित जैसे रेलगाड़ी के किसी डब्बे...
फटे जूते-सी Similar to torn shoes ज़िन्दगी सीने के लिए ...