आदमी A poem by Uday Prakash
आदमी मरने के बाद कुछ नहीं सोचता। आदमी मरने के बाद कुछ नहीं बोलता। कुछ नहीं सोचने और कुछ नहीं बोलने पर आदमी मर जाता है। – उदय प्रकाश ...
आदमी मरने के बाद कुछ नहीं सोचता। आदमी मरने के बाद कुछ नहीं बोलता। कुछ नहीं सोचने और कुछ नहीं बोलने पर आदमी मर जाता है। – उदय प्रकाश ...
हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था व्यक्ति को मैं नहीं जानता था हताशा को जानता था इसलिए मैं उस व्यक्ति के पास गया मैंने हाथ बढ़ाया मेरा हाथ पकड़कर वह खड़ा हुआ मुझे...
बसंती हवा Spring Wind हवा हूँ, हवा मैं I am the wind बसंती हवा हूँ। I am spring wind सुनो बात मेरी – ...
दुनिया की चिन्ता world’s worry छोटी सी दुनिया small world बड़े-बड़े इलाके ...
फटे जूते-सी Similar to torn shoes ज़िन्दगी सीने के लिए ...
https://www.sarita.in/poem/hindi-kavita-darwaza दरवाज़ा घर बहुत बड़ा था लेकिन दरवाज़ा बहुत छोटा धूप, हवा, बारिश सब का आना था मना घर में रहते थे बस चंद लोग एकदम अपरिचित जैसे रेलगाड़ी के किसी डब्बे...
आना आना जब समय मिले जब समय न मिले तब भी आना आना जैसे हाथों में आता है जाँगर (bodily energy) जैसे धमनियों (artery) में आता है रक्त (blood) जैसे चूल्हों (stove) में...
रोटी और संसद एक आदमी रोटी बेलता (flatten with a roller) है. एक आदमी रोटी खाता है एक तीसरा आदमी भी है जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है वह सिर्फ़ रोटी...