Tagged: Hindi poem

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कभी टल नहीं सकता (कविता – कुँवर नारायण)

मैं चलते-चलते इतना थक गया हूँ, चल नहीं  सकता।            मगर मैं सूर्य हूँ, संध्या से पहले ढल नहीं सकता कोई जब रोशनी देगा, तभी हो पाऊँगा  रोशन मैं मिट्टी...

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आना-केदारनाथ सिंह Aanaa poem by Kedarnath Singh

  आना आना जब समय मिले जब समय न मिले तब भी आना आना जैसे हाथों में आता है जाँगर (bodily energy) जैसे धमनियों (artery) में आता है रक्त (blood) जैसे चूल्हों (stove) में...