Tagged: कविता

0

कभी टल नहीं सकता (कविता – कुँवर नारायण)

मैं चलते-चलते इतना थक गया हूँ, चल नहीं  सकता।            मगर मैं सूर्य हूँ, संध्या से पहले ढल नहीं सकता कोई जब रोशनी देगा, तभी हो पाऊँगा  रोशन मैं मिट्टी...