Author: HindiCentral

Poems by Prakyaksha 0

Poems by Prakyaksha

मामूली चीजें – 1  मसलन धूप में सूखते रंगीन सफेद कपड़े उन्हें देखते ही कैसी तो खुशी जगमगाती है गेंहूँ बीनती औरत अच्छी लगती है शायद माँ याद आ जाती हैं हंसुये से मछली...

मेरा घर 0

मेरा घर

Warm up- मेरा घर यह घर मेरा था यहीं मैं पढ़ा करती थी। यहीं मेरी माँ सोया करती थीं। यही वह जगह थी, जहाँ हम सब मिलकर टीवी देखा करते थे। भाई से झगड़ती...