Tagged: Easy Hindi poem

0

हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था

हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था व्यक्ति को मैं नहीं जानता था हताशा को जानता था इसलिए मैं उस व्यक्ति के पास गया मैंने हाथ बढ़ाया मेरा हाथ पकड़कर वह खड़ा हुआ मुझे...

0

कभी टल नहीं सकता (कविता – कुँवर नारायण)

मैं चलते-चलते इतना थक गया हूँ, चल नहीं  सकता।            मगर मैं सूर्य हूँ, संध्या से पहले ढल नहीं सकता कोई जब रोशनी देगा, तभी हो पाऊँगा  रोशन मैं मिट्टी...

0

आना-केदारनाथ सिंह Aanaa poem by Kedarnath Singh

  आना आना जब समय मिले जब समय न मिले तब भी आना आना जैसे हाथों में आता है जाँगर (bodily energy) जैसे धमनियों (artery) में आता है रक्त (blood) जैसे चूल्हों (stove) में...

0

जाना – केदारनाथ सिंह poem- Jaana

मैं जा रही हूँ – उसने कहा जाओ – मैंने उत्तर (answer) दिया यह जानते हुए कि जाना हिंदी की सबसे खौफनाक (dreadful) क्रिया (verb) है. केदारनाथ सिंह

0

रोटी और संसद A poem – एक कविता

रोटी और संसद एक आदमी रोटी बेलता (flatten with a roller) है. एक आदमी रोटी खाता है एक तीसरा आदमी भी है जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है वह सिर्फ़ रोटी...